Sumit Prakashan Dr. Vinay Kumar Tiwari Bhart Durdasha Mulyankan & Mulyankan (भारत और दुर्दशा) Hindi Medium Original Book
Total Pages:-144
Table of Contents
भूमिका
खंड : 1
भारत दुर्दशा मूल पाठ
भारत दुर्दशा
खंड : 2
मूल्यांकन और मूल्यांकन
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र : व्यक्तित्व और कृतित्व भारत दुर्दशा : रचना का औचित्य
भारत दुर्दशा : राष्ट्रीय चेतना
भारत दुर्दशा : सामाजिक चेतना
भारत दुर्दशा : रचनाशिल्प का
भारत दुर्दशा : भाषिक संवेदना
भारत दुर्दशा : रंगमंचीय दृष्टि
वैशिष्ट्य
भारत दुर्दशा : वर्तमान प्रासंगिकता
भारत दुर्दशा : सामर्थ्य और सीमा
आलोचनात्मक व्याख्या